Contract Employee: संविदा कर्मचारियों के लिए दिवाली से पहले बड़ा झटका आया है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने अपने सभी संविदा कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया है।
यह फैसला दिवाली के कुछ ही दिन पहले आया, जिससे संविदा कर्मचारियों में आक्रोश और चिंता का माहौल बना हुआ है।
इस आदेश के बाद से कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। यह निर्णय उन कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से तकलीफदेह है, जो कई सालों से विभाग में अपनी सेवाएँ दे रहे थे।
निर्णय के पीछे की वजह क्या है?
विभाग के आदेश में कहा गया है कि ये सभी नियुक्तियाँ नियमों के खिलाफ जाकर की गई थीं और बिना किसी वैध अनुमति के कर्मचारियों को भर्ती किया गया था।
कई संविदा कर्मचारी 1990 से विभाग में कार्यरत थे, लेकिन अब उन्हें नौकरी से हटा दिया गया है। यह आदेश विभाग के सहायक सचिव गौतम मजूमदार की ओर से जारी किया गया है।
पहले भी हो चुका है ऐसा
यह पहला मौका नहीं है जब संविदा कर्मचारियों को इस तरह नौकरी से निकाला गया है। इसी साल अप्रैल में भी दिल्ली महिला आयोग (DCW) में संविदा कर्मचारियों को हटाने का आदेश जारी किया गया था।
उस समय भी कर्मचारियों के निकाले जाने पर विवाद खड़ा हुआ था और आयोग की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।
क्या कहता है आदेश?
आयोग के सहायक सचिव द्वारा जारी किए गए आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विभाग में जो भी संविदा कर्मचारी किसी भी समय नियुक्त हुए हों, उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जा रहा है।
इस फैसले के पीछे मुख्य कारण यह बताया गया है कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति अवैध तरीके से हुई थी और यह विभागीय नियमों के खिलाफ थी।
संविदा कर्मचारियों को निकालने का कारण
- अवैध नियुक्तियाँ: विभाग ने बताया कि संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति बिना अनुमति के और नियमों के खिलाफ जाकर की गई थी।
- लंबे समय से कार्यरत कर्मचारी: कई संविदा कर्मचारी 1990 से विभाग में कार्यरत थे, लेकिन अब सभी को निकालने का आदेश दिया गया है।
- अप्रैल में भी निकाला गया था: इस साल अप्रैल में भी दिल्ली महिला आयोग में संविदा कर्मचारियों को निकालने का आदेश दिया गया था, जिससे काफी विवाद हुआ था।
संविदा कर्मचारियों के भविष्य पर सवाल
इस फैसले से संविदा कर्मचारियों के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। जिन कर्मचारियों ने वर्षों से विभाग के लिए कार्य किया है, अब उनकी स्थिति अनिश्चित हो गई है।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में इस फैसले पर सरकार या अन्य संस्थाएँ क्या कदम उठाती हैं।
स्वाति मालीवाल का बयान
अप्रैल में जब कर्मचारियों को निकालने का आदेश जारी हुआ था, तब दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल ने इस पर कड़ा विरोध जताया था।
उन्होंने कहा था कि अगर ये संविदा कर्मचारी नहीं होते, तो महिला हेल्पलाइन 181 और क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर जैसे महत्वपूर्ण प्रकल्प इतने बड़े पैमाने पर काम नहीं कर पाते।
निष्कर्ष
संविदा कर्मचारियों को निकालने का यह फैसला एक बड़ा झटका है। दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के इस कदम से हजारों कर्मचारी प्रभावित हुए हैं, और अब उनके सामने एक कठिन भविष्य खड़ा है।