Road Safety Rules : देश में भारी बारिश के कारण कई सड़कों की स्थिति खराब हो गई है। जिसके कारण केंद्र सरकार लगातार आलोचना झेल रही है। कई सड़कों में बीच में गड्ढे निर्मित होने की वजह से एक्सीडेंट की खबरों में भी इजाफा हो रहा है।
साथ ही बड़े स्तर पर बने सड़कों में भी लगातार दरार आ रही है। जिसके बाद केंद्र सरकार को आलोचना झेलनी पड़ी है। अब अच्छी सड़कों के लिए उन्हें दोहरा एक्शन लेने की तैयारी कर ली है।
सरकार की तरफ से सुधार को ध्यान में रखते हुए जवाबी कार्रवाई बढ़ाएगी। वही इंजीनियरिंग की खामियां छोड़ने वाले और खराब सड़क बनाने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई तेज की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक हाईवे और अन्य सड़कों को दुरुस्त करने के ठेकेदार की जिम्मेदारी 5 साल से बढ़कर 10 साल की जा रही है। ऐसे में खराब सड़क बनाने वाले ठेकेदार यह फॉर्म की सूची तैयार की जा रही है, ताकि उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जा सके। इतना ही नहीं उन पर दंडवत कार्रवाई भी की जाएगी।
टाइम लिमिट को बढ़ाने की तैयारी
दरअसल देश में सड़क निर्माण परियोजना अलग-अलग तरीके से चलती है। सबसे प्रचलित तरीका ईपीसी है या नहीं। इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण ऐसी परियोजना में सरकार पैसा लगती है और ठेकेदार इंजीनियरिंग सामग्री खरीद और निर्माण करवाते हैं।
इस परियोजना में ठेकेदार के लिए किसी भी प्रकार की कमी या खराबी को ठीक करने वाली गारंटी केवल 5 साल रहती है। जिसे अब बढ़ाने की तैयारी की गई।
इसके साथ ही रखरखाव, मरम्मत का जिम्मा सरकार के पास आ जाता है। सरकारी सिस्टम से ज्यादा तो एपीसी के आधार पर ही बनाई जाती है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि ईपीसी की सड़क की गुणवत्ता अच्छी नहीं है।
सरकार गारंटी बढ़ा कर दोगुनी यानी 10 साल करेगी, जिसके कारण ठेकेदार को उच्च गुणवत्ता की सड़क बनाने के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा।
अधिकारियों की पर्याप्त मॉनिटरिंग और जरूरी कार्रवाई
बिल्ड ऑपरेट और ट्रांसफर मॉडल यानी टोल वाली सड़कों की गुणवत्ता अन्य सड़क के मुकाबले ठीक रहती है। इन परियोजना में सड़क के रखरखाव की स्थाई जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है लेकिन सरकारी अधिकारियों की पर्याप्त मॉनिटरिंग और जरूरी कार्रवाई की वजह से इन सड़कों के टूटने के बावजूद मरम्मत और सुधार नहीं होते हैं।
जनता टूटी सड़कों पर चलने के बावजूद टोल देने को मजबूर होती है। जिसके बाद अब सरकार ने ऐसे मामले में मॉनिटरिंग बढ़ाने गुणवत्ता और रखरखाव शर्तों का पालन नहीं करने वाले ठेकेदार पर जुर्माना लगाने जरूरी है।
ऐसे में जरूरी एक्शन लेने की तैयारी की गई है। इसके साथ ही भविष्य में ऐसी कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने जैसी कार्रवाई की भी तैयारी की जा रही है।
बीते दिनों देश में मानसून में अच्छी बरसात के कारण शहर, जिला स्टेट और नेशनल हाईवे पर भी बड़े पैमाने पर कर के छतिग्रस्त हुई थी। उत्तर प्रदेश बिहार से कुछ राज्यों में ऐसे उदाहरण सामने आए थे। जहां चंद दिनों के बाद ही बनी सड़क उखड़ गई थी।
सरकार द्वारा एक्शन लेने की तैयारी
ऐसे में नवाचार और सड़क निर्माण में तेजी की बात करने वाले सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को आलोचना का सामना करना पड़ा था। सोशल मीडिया पर उनके खूब मीम भी बनाए गए थे।
इसके बाद अब सरकार द्वारा एक्शन लेने की तैयारी कर दी गई है। बता दे कि देश में तेज रफ्तार के अलावा खराब सड़क और हाईवे की गलत डिजाइन भी दुर्घटना का बड़ा कारण है।
बता दे कि भारत में हर साल करीब 5 लाख सड़क दुर्घटना होती है। जिनमें से आधे से अधिक दुर्घटना के शिकार 18 से 36 वर्ष की आयु वर्ग के लोग होते हैं।
वर्ष 2022 में भारत में सड़कों पर 4 लाख 61312 हादसे में से कुल 168191 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 4 लाख 45366 लोग घायल हुए थे।
ऐसे में अब सड़कों की रखरखाव की स्थिति के लिए सरकार द्वारा मजबूत एक्शन लेने की तैयारी की जा रही है। दोहरी एक्शन प्रक्रिया अपना कर अब ठेकेदारों पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं अब ठेकेदारों को सड़क बनाने के साथ ही उसकी 10 साल की गारंटी देनी होगी।