SC On Dowry Misuse : बेंगलुरु में एकता एक अतुल सुभाष की खुदकुशी पर सोशल मीडिया पर जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। पत्नी के कथित उत्पीडन से आजिज होकर अतुल ने अपनी जान दे दी है। इसके साथ ही पत्नी पर कई तरह के आरोप लगे है।उनके खिलाफ पत्नी ने दहेज उत्पीड़न हत्या और जो केस दर्ज कर रखे थे।
नोट और वीडियो का क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल
सुभाष ने खुद को बेगुनाह बताया है और 24 पन्ने का सुसाइड नोट सहित 80 मिनट के रिकॉर्ड वीडियो में पत्नी की अत्याचारों की बात की है।ऐसे में सोशल मीडिया पर जस्टिस फॉर अतुल सुभाष ट्रेंड होने लगा है। अतुल ने अपने नोट में लिखा है कि उनकी पत्नी और उनके ससुराल वाले लगातार उनके और उनके परिवार को परेशान कर रहे थे। मंगलवार से ही नोट और वीडियो का क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल है।
अदालत को सतर्क रहने के निर्देश
मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न से जुड़े कानून पर चिंता भी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दहेज उत्पीड़न के मामले में अदालत को कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। साथ ही अदालत को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। पति के संग संबंधियों को फसाने की प्रवृत्ति में लगातार इजाफा हो रहा है। जिसको देखते हुए निर्दोष परिवार के सदस्यों को अनावश्यक परेशान करने से बचाने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार को दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस नागरत्ना और कोटेश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि वैवाहिक विवाद से पैदा हुए आपराधिक मामले में परिवार के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी देखी जा रही है। साथ ही विशिष्ट आरोपों के बिना उनका नाम का जिक्र शुरू में ही रोक दिया जाना चाहिए। ऐसे में दहेज उत्पीड़न के मामले पर सोच समझकर फैसला देना चाहिए।
बेंच ने कहा कि न्यायिक अनुभव में यह तथ्य है कि वैवाहिक विवाद उत्पन्न होने की स्थिति में अक्सर पति के सभी परिजनों को फसाने की प्रवृत्ति होती है।ठोस और विशिष्ट आरोप के बिना सामान्य प्रकृति के और व्यापकता आपराधिक योजन का आधार नहीं बन सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है इस मामले में अदालत को कानूनी प्रावधानों और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकना चाहिए और परिवार के निर्दोष सदस्यों को अनावश्यक परेशान करने से बचना चाहिए।
देश भर में वैवाहिक विवाद में वृद्धि -SC
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया की हाल के वर्षों में देश भर में वैवाहिक विवाद में वृद्धि देखी जा रही है। विवाह संस्थान के भीतर तनाव भी बढ़ रहा है। ऐसे में आईपीसी की धारा 498A जैसे प्रावधानों का दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। पत्नी द्वारा पति और उनके परिवार के खिलाफ व्यक्तिगत प्रतिशोध को बढ़ावा देने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, जो की बेहद गंभीर मसला है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वैवाहिक विवाद के दौरान अस्पष्ट और सामान्य आरोप पर जांच नहीं की जाती है तो कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और पत्नी एवं उसके परिवार द्वारा दबाव डालने की रणनीति को बढ़ावा मिलेगा। इस तरह के मामले को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।ऐसे में अदालतों को निर्देश दिया गया है की सतर्क होकर कोई भी फैसला ले।