आयुर्वेद में आंवले को सबसे बेहतर औषधि के रूप में जाना गया है और इसके कई तरह के फायदे भी है। इसे आप कच्चा भी खा सकते हैं इसके साथी आप इसके मुरब्बा, लोंजी जूस आदि भी बना कर इसका उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ आवले को फर्मेंटेड कर इसमें प्रोबायोटिक की गुणवत्ता को भी आप बढ़ा सकते हैं, आईए जानते हैं कि आंवले के फायदे के बारे में।
फर्मेंटेड आंवला केसे तेयार किया जाता है?
- फर्मेंटेड आवला बनाने के लिए 6 से 7 आंवला ले लें,
- इन्हें दो गिलास पानी में जार के अंदर डाल दें।
- इसमें एक चम्मच सैंधा नमक और एक चम्मच हल्दी पाउडर के साथ मिलाएं।
- अब इसो 12 घंटे के लिए पानी में डालकर बंद कर दें।
- इसके बाद फर्मेंटेड आंवला खाने के लिए तैयार हो जाएगा।
सर्दी जुकाम से बचाए
आंवले के अंदर आपको भरपूर मात्रा में विटामिन c देखने को मिलता है और यह आपके शरीर की इम्युनिटी सिस्टम को भी मजबूत करता है, जिससे कि आपके शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का लेवल भरपूर मात्रा में बढ़ जाता है और आपको सर्दी खांसी और शुरुआती से छुटकारा दिलाने के साथ-साथ या आपको मौसमी बीमारी से दूर रखता है।
कोलेस्ट्रॉल स्तर को सामान्य रखें
जिन लोगों को हृदय संबंधी समस्याएं हैं, वह भी आंवला का उपयोग कर सकते हैं। आंवला कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य रखने में काफी मदद करता है। आंवला का सेवन आर्टिरीज और वेंस फैट के जमाव को काम करता है और यह बेड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी सामान्य रखता है।
मोटापे को कम करने में सहायक
यदि आप मोटापे से ग्रस्त है और अपना वेट लॉस करना चाहते हैं तो भी, आप आवाले का सेवन कर सकते हैं, आंवला में आपको फेट बर्निंग प्रॉपर्टीज देखने को मिले जाएगी जो कि, शरीर से एक्स्ट्रा फैट को कम करने में काफी मददगार है और आपके मेटाबॉलिज्म को भी या बढ़ावा देता है।
पाचन शक्ति को बढाता है
आंवला में भरपूर मात्रा में आपको फाइबर देखने को मिलेगा जो कि, आपकी पाचन शक्ति को काफी बढ़ता है। यदि आप फॉरमैट किए पाचन वाला हाथों में हेल्दी बैक्टीरिया ग्रंथि को भी बढ़ावा देता है जो, एक स्वस्थ पाचन प्रक्रिया के लिए बेहतर महत्वपूर्ण होता है। इसके साथ यह कब्ज अपच और पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर करता है/
ग्लूकोस लेवल को कंट्रोल रखे
आंवला के अंदर मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के गुण पाए जाते हैं, जिससे कि ग्लूकोज का अवशोषण भी बढ़ जाता है। साथ ही साथ इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज पाई जाती है जो की, एंटीऑक्सीडेंट स्ट्रेस को काम करते हुए पेनक्रिएटिक सेल्स को डैमेज होने से भी प्रोटेक्ट करती है, इस प्रकार वाला ब्लड ग्लूकोस लेवल को भी कंट्रोल में रखता है।