Employees Retirement Age Hike: सरकारी नौकरी में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक राहतभरी खबर आई है। हाल ही में दिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र को बढ़ाने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में राज्य सरकार की दलील को खारिज करते हुए कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को 2 साल बढ़ाने का आदेश दिया है।
देश की सर्वोच्च अदालत के इस फैसले से हजारों सरकारी कर्मचारी लाभान्वित होंगे। कोर्ट ने अपने फैसले में कर्मचारियों को 2 साल अतिरिक्त सेवा करने का अवसर दिया है।
इस फैसले के तहत अब आयुर्वेद चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 साल कर दी गई है। यह निर्णय राजस्थान हाईकोर्ट के पहले दिए गए आदेश की पुष्टि करता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए, बल्कि अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए भी एक बड़ी राहत साबित हो सकता है। आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे की पूरी कहानी और इसका क्या मतलब है।
Retirement Age Hike: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के 13 जुलाई 2022 के फैसले को फिर से सही ठहराया है, जिसमें आयुर्वेद चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 साल करने का आदेश दिया गया था।
राज्य सरकार ने इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी, जिसमें उन्होंने यह तर्क दिया था कि एलोपैथी और आयुर्वेद चिकित्सकों का कार्यक्षेत्र अलग है, इसलिए सेवानिवृत्ति की आयु में भी अंतर होना चाहिए।
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Employees Retirement Age Hike के प्रमुख तथ्य
विषय | जानकारी |
सेवानिवृत्ति आयु | आयुर्वेद चिकित्सकों की उम्र 60 से बढ़ाकर 62 साल |
सुप्रीम कोर्ट का फैसला | राजस्थान हाईकोर्ट के 13 जुलाई 2022 के फैसले को सही ठहराया |
पुनर्विचार याचिका | राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज |
राज्य सरकार का तर्क | एलोपैथी और आयुर्वेद चिकित्सकों की सेवाएं अलग-अलग होती हैं |
सुप्रीम कोर्ट का उत्तर | कार्यक्षेत्र अलग होने के बावजूद सेवानिवृत्ति आयु समान होनी चाहिए |
निर्णय लागू | आयुर्वेद चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ी |
Employees Retirement Age Hike: राज्य सरकार का तर्क
राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका में कहा था कि एलोपैथी चिकित्सकों की सेवाएं अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक हैं, इसलिए उनकी सेवानिवृत्ति उम्र को 2 साल बढ़ाना नीतिगत निर्णय था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया।
न्यायाधीश ऋषिकेश रॉय और न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि आयुर्वेद और एलोपैथी चिकित्सकों के बीच इस प्रकार का भेदभाव उचित नहीं है।
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आयुर्वेद चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के पक्ष में कोर्ट ने कहा कि उनके कार्यक्षेत्र और सेवाओं का भी उतना ही महत्व है, जितना एलोपैथी चिकित्सकों का।
Retirement Age Hike: पुनर्विचार याचिका खारिज
कोर्ट ने 30 जनवरी 2024 के अपने पिछले फैसले को भी फिर से सही ठहराया, जिसमें आयुर्वेद चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का आदेश दिया गया था।
राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि एनडीएमसी बनाम डॉ. रामनरेश मामले में भी यही फैसला आया था, जो कि इस मामले में भी लागू होता है।
इस फैसले से आयुर्वेद चिकित्सकों को राहत मिली है, जो अपनी सेवाओं को 2 साल और जारी रख पाएंगे।
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इस निर्णय से हजारों आयुर्वेद चिकित्सक अब दो साल और अपनी सेवाओं को जारी रख पाएंगे, जिससे राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं में उनका योगदान और भी बढ़ेगा।
यह फैसला न केवल आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए, बल्कि भविष्य में अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए भी महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकता है।