Leave Encashment : हाई कोर्ट ने कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत दी है। लिव एनकेशमेंट पर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला सामने आया है। अर्जित अवकाश नकदीकरण से वंचित करने वाले कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए अदालत में स्पष्ट किया कि अर्जित अवकाश नकदीकरण से वंचित करना किसी भी कर्मचारी के लिए संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
नगर निगम द्वारा श्रम न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी किया कि नगर निगम के कर्मचारी लिव एनकेशमेंट का लाभ दिया जाना चाहिए। बता दे की हाई कोर्ट ने श्रम न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा है की अवकाश नकदीकरण वेतन के समान है, जो की एक संपत्ति है।
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अवकाश नकदीकरण वेतन के समान
न्यायमूर्ति ठक्कर ने कहा कि किसी वैधानिक प्रावधान के बिना किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित करना संविधान का उल्लंघन है। ऐसे में हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी कर्मचारी ने छुट्टी अर्जित की है तो उसका नकदीकरण करना उसका अधिकार है और इस अधिकार का हरण निगम द्वारा नहीं किया जा सकता।
बता दे कि मामला गुजरात का है। जहां सद्गुण भाई सोलंकी ने 1975 में अहमदाबाद नगर निगम के तकनीकी विभाग को ज्वाइन किया था। 2016 तक सोलंकी कनिष्ठ लिपि के पद पर कार्य कर रहे थे। हालांकि विभागीय परीक्षा में असफल रहने का के कारण उन्हें सहायक के पद पर रिमोट कर दिया गया था।
अवकाश नगरीकरण और हजार रुपए का जुर्माना
हालांकि मार्च 2013 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में निगम ने स्वीकार करते हुए 7 महीने की देरी की थी। अब 30 अप्रैल 2014 को सोलंकी रिटायर हो गए थे। जिस पर हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था।
2018 को 16320 का अवकाश नगरीकरण और हजार रुपए का जुर्माना अदा करें। एमसी ने इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका कार्य की थी। जिस पर याचिका खारिज कर दिया है। ऐसे में कर्मचारियों को अवकाश नकदीकरण का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही उनके वेतन में भारी बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।