Property rights: जर, जमीन और जोरू हमेशा विवाद का कारण बनते हैं। जी हां, इस पुरानी कहावत को यूं ही नहीं गढ़ा गया। सच में धन संपत्ति और प्रॉपर्टी को लेकर हर घर में विवाद चलते हैं। आमतौर पर हमने भी अपने आसपास कई सारे ऐसे विवादों को निश्चित रूप से देखा होगा।
पति-पत्नी के बीच में भी आमतौर पर प्रॉपर्टी को लेकर काफी सारे विवाद देखे जाते हैं। हालांकि भारतीय कानून में कुछ ऐसी सुविधा और ऐसे नियम बनाए गए हैं जहां कानून ज्यादातर पत्नी के हक की ही बात करता है लेकिन कई बार इन विवादों में बेकसूर पति फंस जाता है।
साथ ही साथ पति के घर वालों पर भी इसका असर पड़ता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है।
आमतौर पर प्रॉपर्टी में हुए विवादों को देखते हुए यह फैसला सुना दिया जाता है कि पति की संपत्ति पर पत्नी का पूरा हक है। परंतु कई बार ऐसे मामले भी देखने को मिलते हैं जहां पत्नी की संपत्ति पर पति हक जताने लगता है। ऐसे मामले काफी बड़े विवाद का रूप ले लेते हैं और कई बार तो यह विवाद गुनाह में बदल जाते हैं।
ऐसे ही मामलों को रोकते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ महत्वपूर्ण नियम और कायदे जारी किए गए हैं जिसके अंतर्गत पत्नी के लिए कुछ विशेष प्रावधान सुनिश्चित किए गए हैं जिस पर पति का कोई हक नहीं होता।
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क्या है सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पति-पत्नी के बीच में उत्पन्न विवादों पर लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है जिसके अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट ने कुछ स्थितियों को स्पष्ट कर दिया गया दिया है।
जैसे शादी के बाद बेटी अपने साथ जो भी गहने, सामान, उपहार इत्यादि लाती है वह स्त्री धन की श्रेणी में आएगा और इस पर केवल पत्नी का हक होगा।
क्या है स्त्री धन?
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 और हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत स्त्री धन के अंतर्गत निम्नलिखित संपत्ति को सम्मिलित किया जाता है।
- पत्नी को शादी से पहले मिली संपत्ति
- पत्नी द्वारा शादी से पहले कमाई गई संपूर्ण संपत्ति
- पत्नी को शादी के समय मिली हुई संपत्ति
- और पत्नी के द्वारा शादी के बाद कमाई गई संपत्ति या मिली संपत्ति
स्त्री धन पर सिर्फ पत्नी का हक
वह सारी संपत्ति जिस पर केवल और केवल पत्नी का अधिकार है या जो केवल पत्नी को मिली है उसे स्त्री धन की श्रेणी में रखा जाता है। स्त्री धन पर पति या पति के परिवार वालों का कोई हक नहीं होता।
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इसे लेकर कानून में भी अलग से प्रावधान तैयार किए गए हैं ताकि महिलाएं अपने अधिकारों को समझ सके और अपने स्त्री धन को सुरक्षित रख सके। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि स्त्री धन पूरी तरह से महिला की संपत्ति होती है।
यदि महिला चाहे तो इसे अपने पति को दे सकती है परंतु पति का भी यह फर्ज होता है कि आपातकालीन स्थिति समाप्त होते ही वह महिला को इसे वापस कर दे।
स्त्री धन पर केवल और केवल महिला का ही अधिकार होता है यदि किसी परिस्थिति में महिला की मृत्यु हो जाती है तो वह स्त्री धन उसके उत्तराधिकारियों का हो जाता है जिसका बराबर बंटवारा किया जा सकता है।
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क्यों महत्वपूर्ण है सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला
सुप्रीम कोर्ट को द्वारा पारित किए गए इस महत्वपूर्ण फैसले का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों को लेकर जागृत करना है। इसके अलावा इस फैसले के अंतर्गत महिलाओं को भी लैंगिक समानता दी जा रही है। वहीं इस फैसले का मुख्य उद्देश्य घरेलू हिंसाओं को कम करना है ताकि महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण बन सके।
इसके साथ ही स्त्री धन महिलाओं के लिए ऐसी संपत्ति के रूप में काम आ सकता है जिससे वह अपना स्वरोजगार शुरू कर सकती है या अपनी स्थिति को बेहतर कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित किए गए इस महत्वपूर्ण निर्णय के अंतर्गत महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा प्रदान की जा रही है। वहीं स्त्री धन को लेकर भी उन्हें जागरूक किया जा रहा है ताकि आने वाले समय में महिलाएं अपने हक और अपने अधिकारों के प्रति सजग रहे और सतर्क रहें।
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