Silent Pneumonia : इन दिनों वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या के कारण स्वास्थ्य पर इसका गंभीर असर देखने को मिल रहा है। वही डॉक्टर द्वारा एक नए प्रकार की बीमारी की चिंता जताई गई है। इस बीमारी में लक्षण का पता नहीं चलता है और जल्दी पहचान में नहीं आने की वजह से यह बीमारी गंभीर रूप में परिवर्तित हो जाती है।
वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या को लेकर चिकित्सकों द्वारा एक नए प्रकार के निमोनिया के मामले की चिंता जताई गई है। इस निमोनिया में लोगों को लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते हैं। प्रदूषण के कारण साइलेंट निमोनिया के मामले में लगातार वृद्धि हो रही है। जब तक इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तब तक मामला अधिक गंभीर स्थिति में पहुंच चुका होता है।
बता दे की वायु गुणवत्ता का असर अत्यधिक खराब हो चुका है। स्वसन संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ रही है। इन दोनों इमरजेंसी में निमोनिया से पीड़ित मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। कई मामलों में वॉकिंग निमोनिया या फिर एटपिकल निमोनिया देखा जा रहा है। जिसमें एक आध मामले में निमोनिया के लक्षण तो नहीं दिखाई देते हैं लेकिन रोगी गंभीर रूप से बीमार होता है।
साइलेंट निमोनिया के मामले में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है। साइलेंट निमोनिया में संक्रमण काफी गंभीर होता है लेकिन इसके लक्षण धीरे-धीरे उभर कर सामने आते हैं। ऐसे में मरीजों को आईसीयू में भर्ती करना पड़ सकता है क्योंकि संक्रमण की गंभीरता का जल्दी पता नहीं लग पाता और लक्षण दिखाई नहीं देने की वजह से डॉक्टर भी इसका जल्दी इलाज शुरू नहीं कर पाते हैं।
ऐसे में खासकर उन लोगों को जो पहले से किसी पुरानी बीमारी से जूझ रहे हैं।अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए और एक अच्छी जीवन शैली को अपनाना आवश्यक होता है। सीमित आहार और नियमित व्यायाम को अपने प्रक्रिया में शामिल करें। नोट्स फल और सब्जियों का सेवन हमेशा करना चाहिए और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फलों और सब्जी खाने के साथ ही इन्हें अत्यधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए।
जिससे इनका शरीर हाइड्रेट रहे। साइलेंट निमोनिया के लक्षण की बात करें तो कई बार मरीज बुखार के बिना भी ऊपरी श्वसन संबंधित इलेक्शन से परेशान रहते हैं। उनके आंख नाक और गले में खुजली का अनुभव होता है। इसके साथ ही प्रदूषण इतना प्राथमिक कारण है। कई लक्षण तेजी से दिखाई नहीं देते।
कभी-कभी वायु गुणवत्ता सहित अन्य कारणों की वजह से छाती में संक्रमण फैल जाता है। छाती में संक्रमण इतना गंभीर होता है कि मरीज को आईसीयू तक में भर्ती करना पड़ता है। ऐसे में साइलेंट निमोनिया जैसे भयंकर बीमारी से बचकर रहने की आवश्यकता है।