Supreme Court Decision: आज के समय में हम जब भी कोई नई कार लेते हैं तो ज्यादातर लोग उसका पैसा किस्तों के माध्यम से ही चुकाते हैं। लेकिन कभी कभार ऐसा हो जाता है कि कोई व्यक्ति लोन तो करवा लेता है लेकिन उसकी EMI को नहीं चुका पाता है।
अगर आप लोगों ने भी अपनी गाड़ी पर लोन लिया है और उसकी EMI नहीं चुका पा रहे हैं तो आज की यह खबर आप लोगों के लिए काम की होने वाली है।
दरअसल, लोन की ईएमआई न भरने वाले लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की तरफ से एक बहुत ही बड़ा फैसला दिया गया है जिसके बारे में हर किसी को जानना चाहिए।
जानिए पूरे मामले के बारे में?
कुछ समय पहले एक व्यक्ति के द्वारा कंज्यूमर कोर्ट (Consumer Court) में एक अपील दायर की गई थी। जिसमें व्यक्ति के द्वारा बताया गया था कि उसने एक गाड़ी को खरीदने के लिए 1 लाख का डाउन पेमेंट किया था और बाकी का बचा हुआ अमाउंट उसने लोन करना लिया।
इस लोन के अमाउंट की किस्त हर महीने 12,500 की करवाई। व्यक्ति के द्वारा 7 महीने तक लगातार किस भरी गई लेकिन उसके बाद व्यक्ति ईएमआई (EMI) चुकाने में असमर्थ हो गया।
फाइनेंसिंग कंपनी (Financing Company) की तरफ से लगभग 5 महीने तक किसी पर निकल इंतजार किया गया लेकिन जो व्यक्ति किस्त नहीं भर पाया तो उन्होंने बिना किसी नोटिस के ही व्यक्ति की गाड़ी को उठा दिया और जब इस बात का पता व्यक्ति को लगा तो उसने इसकी अपील कंज्यूमर कोर्ट (Consumer Court) में कर दी।
कंज्यूमर कोर्ट ने इस मामले की जांच करते हुए व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया और कहां की फाइनेंसिंग कंपनी ने बिना किसी नोटिस के व्यक्ति की गाड़ी को उठाया है जो कि नियमों का पूर्णतया उल्लंघन है इसलिए उन्होंने फाइनेंसर पर 2 लाख 50 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया।
सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?
जब फाइनेंसर ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया तो सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता अदालत के लगाए गए जुर्माने को रद्द कर दिया। लेकिन नोटिस नहीं देने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने फाइनेंसर पर ₹15000 का जुर्माना लगा दिया।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि अगर व्यक्ति किसी लोन की किस्त नहीं भर पता है तो वह किसी भी वहां पर अपना मालिकाना हक नहीं जाता सकता है फाइनेंसर अगर वाहन को जप्त कर लेता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन उसे पहले व्यक्ति को नोटिस देना होगा।