Banking Rule : संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से हो चुकी है। सोमवार को बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा की जाएगी। दरअसल इनमें कई नवीन प्रावधान किए गए हैं।
बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ाने और बैंकिंग प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और मजबूत करने के लिए इसमें महत्वपूर्ण बदलाव कर रही है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा विधेयक पेश किया जा रहा है। जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक एक्ट, बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट और भारतीय स्टेट बैंक एक्ट में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रस्ताव रखा गया है।
चार नॉमिनी का नाम
तैयार किए गए बिल में सबसे अधिक प्रभावित करने वाले प्रावधान यह है कि यह बैंक खाताधारक एक के बजाय चार नॉमिनी का नाम दे सकेंगे। दरअसल अकाउंट होल्डर नॉमिनी को प्राथमिकता के आधार पर चुन सकते हैं और उनके हिस्से भी तय कर सकते हैं।
इससे पहले नॉमिनी के लिए केवल एक नाम का प्रावधान रखा गया था। अब बैंक अकाउंट होल्डर को चार नॉमिनी के नाम देने की स्वतंत्रता होगी। प्राथमिकता वाले नॉमिनेशंस के तहत नॉमिनी का अधिकार क्रम में लागू होगा। जैसे पहले क्रम, दूसरे क्रम, तीसरे और चतुर्थ क्रम में होंगे। नॉमिनी की मृत्यु के बाद अगला नॉमिनी अपने आप इस प्रक्रिया के लिए प्रभावी माना जाएगा।
ऐसे में यह बदलाव ना केवल ग्राहकों को अधिक विकल्प दे सकेगा बल्कि उनके फंड की सुरक्षा और वितरण को भी सुनिश्चित करेगा। एक तरह से यह बिल का काम करेगा। यह प्रावधान लॉकर और सेफ कस्टडी पर भी लागू किया जाएगा।
निष्क्रिय बैलेंस पर बड़ा फैसला
साथ ही विधेयक में 10 साल तक निष्क्रिय बैलेंस डिविडेंड या FD को अनक्लेमद डिपॉजिट के रूप में वर्गीकृत कर इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटक्शन फंड में ट्रांसफर करने का प्रावधान किया गया है। जिसका उद्देश्य बैंक में निष्क्रिय राशियों का सही उपयोग सुनिश्चित करना है। ऐसे में कई वर्षों से बैंक में पड़ी राशि का उपयोग सही माध्यम के लिए किया जाएगा।इसे आईईपीएफ में ट्रांसफर किया जाएगा।
सब्सटेंशियल इंटरेस्ट की सीमा 5 लाख से बढ़कर 2 करोड रुपए
इतना ही नहीं तैयार किए गए बिल में यह प्रावधान किया गया कि बैंक डायरेक्टरशिप में सब्सटेंशियल इंटरेस्ट की सीमा को 5 लाख से बढ़कर 2 करोड रुपए तक किया जाना है। इसके अलावा रेगुलेटरी रिर्पोटिंग की समय सीमा को हर महीने की 15 और अंतिम तारीख तक करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह कदम बैंक के प्रशासनिक प्रक्रिया को और अधिक जीवंत करने के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।
बैंकिंग प्रणाली में बड़ा बदलाव
बता दे कि इस प्रावधान का उद्देश्य ग्राहक सुविधा में सुधार करना है। साथ ही बैंक प्रणाली की पारदर्शिता बढ़ाने और बैंक में जमा निष्क्रिय निधि का बेहतर प्रबंध सुनिश्चित करना है। चार नॉमिनी का प्रावधान ग्राहकों को अतिरिक्त विकल्प के साथ एक उम्दा सुरक्षा भी प्रदान करेगा। ऐसे में आने वाले समय के लिए यह विधेयक भारत की बैंकिंग प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाने वाला साबित हो सकता है। शीतकालीन सत्र में इस पर चर्चा के बाद इस पर मंजूरी मिल सकती है।
डायरेक्टर्स का बढ़ा कार्यकाल
इसके अलावा अभिलेख के तहत कोऑपरेटिव बैंक के डायरेक्टर्स का कार्यकाल 8 साल से बढ़कर 10 साल करने पर भी प्रावधान किया गया है। हालांकि इस मामले में अध्यक्ष और व्होल टाइम डायरेक्टर पर यह लागू नहीं होगा। यह केवल बैंकों के डायरेक्टर के कार्यकाल पर लागू होगा और इसमें दो साल की बढ़ोतरी की जाएगी।