Supreme Court On Private Property : सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट प्रॉपर्टी पर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति और सार्वजनिक भलाई के लिए इसके अधिग्रहण और इस्तेमाल को लेकर राज्य की शक्ति के संबंध में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। जिससे आम जनता को राहत मिलेगी।
9 जजों की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में बहुमत में फैसला देते हुए कहा कि सभी निजी संपत्ति को राज्य सरकार अधिग्रहित नहीं कर सकती। ऐसे में राज्य सरकार का सभी निजी संपत्तियों पर अधिकार नहीं है।
इस फैसले के साथ ही 9 जजों की पीठ ने 1978 के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह जजमेंट संविधान के अनुच्छेद 39 बी के दायरे से संबंधित एक मामले में सुनाया है।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से एक बड़ा अधिकार चित हुए अपने 46 साल पुराने फैसले को पलट दिया है।
SC ने कहा कि हमारा मानना है कि केशवानंद भारती ने जिस हद तक अनुच्छेद 31 सी को बरकरार रखा था। वह लागू रहेगा और यह सर्वे संबंध कहा कि 42 में संशोधन की धारा 4 का उद्देश्य एक ही समय में अनुच्छेद 39 B को निरस्त करना और प्रतिस्थापित करना है।
ऐसे में संशोधित अनुच्छेद 31 लागू रहेगा। इस सेवा काम उत्पादन के साधन बल्कि सामग्री भी अनुच्छेद 39 B के दायरे में आएगी।
सभी निजी प्रॉपर्टी समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं- SC
सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाते हुए कहे कि हमारा मत है कि किसी व्यक्ति के मालिकाना हक वाले संस्थान को केवल समुदाय का भौतिक संसाधन नहीं माना जा सकता क्योंकि वह भौतिक आवश्यकताओं की योग्यता को पूरा करता हो।
ऐसे में निजी संपत्ति विवाद मामले में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी निजी प्रॉपर्टी समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं। कुछ निजी प्रॉपर्टी समुदाय के भौतिक संसाधन हो सकती है। ऐसे में सभी निजी संपत्तियों पर सरकार का कब्जा नहीं हो सकता है।
बता दे कि संविधान के आर्टिकल 39 B का अवलोकन करते हुए सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने 7:2 के बहुमत से यह फैसला दिया है।
मुख्य न्यायाधीश डी बाय चंद्रचूड़ के अलावा इस बेंच में जी पदरीवाला, जस्टिस ऋषिकेश राय, जस्टिस एससी शर्मा, जस्टिस मनोज मिश्रा जस्टिस राजेश बिंदल और अगस्त्य जॉर्ज मसीह की एक मत रही थी कि हर संपत्ति का अधिग्रहण राज्य नहीं कर सकता जबकि इस बेंच में ही शामिल सुधांशु धूलिया और जस्टिस बीवी नगरत्न की राय इनसे रही है।