UGC : यूजीसी द्वारा छात्रों को बड़ी राहत दी गई है। तीन और चार साल के डिग्री कोर्स को समय से पहले पूरा कर सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा छात्रों को तय समय अवधि में अपनी डिग्री कोर्स पूरा करने की इजाजत देने का निर्णय लिया गया है।
यूजीसी अध्यक्ष ने गुरुवार को उसकी जानकारी दी है। छात्रों को अपने 3 साल के डिग्री को एक साल आगे बढ़ने का ऑप्शन भी दिया जाएगा। इसके अलावा पूरे कोर्स के दौरान उन्हें कई एंट्री और एग्जिट का प्रावधान भी किया गया है।
यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने चेन्नई में जानकारी देते हुए कहा कि जो छात्र दूसरों की तुलना में अपनी डिग्री जल्दी पूरी करना चाहते हैं। उन्हें इसकी अनुमति दी जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए स्वायक्त कॉलेज के कांफ्रेंस के अवसर पर UGC अध्यक्ष ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हम इसे अगले शैक्षणिक क्षेत्र 2025 -26 से लागू करने की योजना बना रहे हैं। जल्दी इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे।
कम समय में डिग्री कोर्स पूरा कर सकेंगे?
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि आने वाले साल में जो छात्र सक्षम है, वह कम समय में डिग्री कोर्स पूरा कर सकेंगे। स्टूडेंट 6 महीने से 1 साल तक के समय का फायदा ले सकते हैं। उन्होंने कहा की नई योजना उन छात्रों के लिए भी लागू होने वाली है, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए अधिक समय लेना चाहते हैं। यह छात्र अपने कोर्स के दौरान ब्रेक ले सकेंगे। योजना आईआईटी मद्रास के निदेशक के नेतृत्व वाली समिति की सिफारिश पर आधारित है।
प्रस्ताव पर शिक्षाविदों ने खड़े किए सवाल
हालांकि यूजीसी के इस प्रस्ताव पर शिक्षाविदों ने सवाल खड़े किए हैं। साथ ही उनके अंदर चिंता का माहौल है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और दिल्ली विश्वविद्यालय के स्थाई समिति के सदस्य ने इस कदम की आलोचना की है। साथ ही तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि फैसले से मुख्य कोर्स के सिलेबस में कटौती हो जाएगी। कोर्स की मुख्य अध्ययन सामग्री पहले ही कम की जा चुकी है और यूजीसी सिर्फ 4 साल,, 3 साल ढाई साल के विचार के साथ बच्चों की पढ़ाई और उनकी जानकारी के साथ खेल कर रहा है।
रिसर्च की प्रक्रिया पूरा करने के लिए रिसर्च जरूरी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में विश्वविद्यालय से 4 साल का यूजी कोर्स करने के लिए कहा गया है। जो स्टूडेंट चौथे वर्ष में रिसर्च करना चाहते है, वह इसे चुन सकते हैं। किसी छात्र को डिग्री तभी मिलेगा, जब वह चौथे वर्ष का ऑप्शन चुनेगा और अपने रिसर्च की प्रक्रिया को पूरा करेगा।
ऐसे में सवाल खड़े करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर का कहना है कि किसी भी डिग्री कॉलेज के पाठ्यक्रम को गहराई के साथ छात्रों के लिए डिजाइन किया जाता है ताकि उन्हें अपनी फील्ड की व्यापक जानकारी मिल सके। इन कोर्स को छोटा करने से इनके अकादमी स्तर में कमी आएगी। अगर 3 साल में डिग्री देना मकसद है तो कोई व्यक्ति पहले स्थान पर 4 वर्ष के कोर्स का चुनाव क्यों ही करेगा।
फिर 4 वर्षीय कोर्स की आवश्यकता ही क्या है?
प्रोफेसर का कहना है कि नई योजना बताती है कि चौथे वर्ष अधिकार बच्चों के लिए आवश्यक नहीं है। इसके साथ ही रोजगार में भी संकट पैदा होने की स्थिति है। जाने अनजाने यह योजना रोजगार के संकट को और अधिक बढ़ाएगी। छात्रों को बिना आवश्यक शैक्षणिक तैयारी के जॉब मार्केट में भेजा जाएगा।